निर्गुन रंगी चादरिया रे
कोई ओढे संत सुजान
कोई ओढे संत सुजान रे
कोई ओढे संत सुजान
निर्गुन रंगी चादरिया रे
कोई ओढे संत सुजान
कोई कोई बिरला जतन सो पावै
या चुनरी पिय के मन भावे
कोई कोई बिरला जतन सो पावै
या चुनरी पिय के मन भावे
कितने ओढ़ भए बैरागी, भए कई मस्तान
निर्गुन रंगी चादरिया रे
कोई ओढे संत सुजान
निर्गुन रंगी चादरिया रे
कोई ओढे संत सुजान
नाम की तार से बुनी चदरिया
प्रेम भक्ती से रंगी चदरिया
नाम की तार से बुनी चदरिया
प्रेम भक्ती से रंगी चदरिया
सतगुरु कृपा करे सो पावै, चहुवन मोलक ग्यान
निर्गुन रंगी चादरिया रे
कोई ओढे संत सुजान
निर्गुन रंगी…
पोथी पढ़ी पढ़ी नैन गँवाए
सतगुरु नाथ शरण नही आवे
पोथी पढ़ी पढ़ी नैन गँवाए
सतगुरु नाथ शरण नही आवे
हरी नारायण निर्गुण सगुण, सबही में पहचान ।
निर्गुन रंगी चादरिया रे,
कोई ओढे संत सुजान
कोई ओढे संत सुजान रे,
कोई ओढे संत सुजान
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