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Saturday, May 23, 2020

Maili Chadar Odhe Ke...




मैली चादर ओढ़ के कैसे द्वार तुम्हारे आऊँ,

हे पावन परमेश्वर मेरे,मन ही मन शरमाऊँ ।
मैली चादर ओढ़ के कैसे...


तूने मुझको जग में भेजा निर्मल देकर काया,

आकर के संसार में मैंने इसको दाग लगाया ।
जनम जनम की मैली चादर,कैसे दाग छुड़ाऊं,
मैली चादर ओढ़ के कैसे द्वार तुम्हारे आऊँ ॥


निर्मल वाणी पाकर तुझसे नाम ना तेरा गाया,

नैन मूँदकर हे परमेश्वर कभी ना तुझको ध्याया ।
मन-वीणा की तारे टूटी,अब क्या राग सुनाऊँ,
मैली चादर ओढ़ के कैसे द्वार तुम्हारे आऊँ ॥


इन पैरों से चलकर तेरे मंदिर कभी ना आया,

जहाँ जहाँ हो पूजा तेरी,कभी ना शीश झुकाया ।
हे हरिहर मई हार के आया,अब क्या हार चढाउँ,
मैली चादर ओढ़ के कैसे द्वार तुम्हारे आऊँ ॥


तू है अपरम्पार दयालु सारा जगत संभाले,

जैसा भी हूँ मैं हूँ तेरा अपनी शरण लगाले ।
छोड़ के तेरा द्वारा दाता और कहीं नहीं जाऊं
मैली चादर ओढ़ के कैसे द्वार तुम्हारे आऊँ ॥

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